स्वामी श्री वैष्णवदास जी महाराज, द्वितीय पीठाधीश्वर, श्रीमणिरामदासजी छावनी, अयोध्या।

वैराग्य तथा साधुत्व से मण्डित आपका इतिहास अत्यन्त पवित्र रहा है। बाल्यकाल में जब आपको श्रीसीतारामजी की अहैतु कृपा से बैराग्य हुआ तो आप पारिवारिक माया-जाल, ममता, मोह आदि का…

अधिक मास की परमा एकदशी-

अधिमास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम परमा एकादशी है। इस दिन भगवान पुरुषोत्तम की धूप, दीप, नैवेद्य पुष्प आदि से पूजा करे। इससे अक्षय फल की प्राप्ति होती…

अधिक मास की पद्मनी एकादशी विधि-

अधिमास की पद्मिनी एकादशी विधि श्री ब्रह्माजी बोले- हे नारदजी ! अधिमास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम पद्मिनी एकादशी है। इस दिन मांस, मसूर, चना, कोदों, शहद, शाक…

अधिक मास में दान योग्य वस्तुए

यहाँ लोगों की जानकारी के लिये अधिमास में देने योग्य कुछ वस्तुओं के नाम दे रहे हैं। जिनमें छिद्र वाले रसीले पदार्थों का विशेष महत्व बताते हैं। वैसे मिठाई कोई…

स्वामी श्री मणिरामदास जी महाराज। प्रथम पीठाधीश्वर, आदि संस्थापक, श्रीमणिरामदास छावनी, अयोध्या |

विन्दु तिलक प्रवर्तकाचार्य दीनबन्धु स्वामी श्री रामप्रसादाचार्य जी महाराज के प्रशिष्य स्वामी श्रीहनुमानदास जी महाराज थे। इन्हीं के शिष्य स्वामी श्री मणिरामदास जी महाराज थे। आप ही ‘श्रीमणिरामदास छावनी’ के…

सदगुरूदेव श्री नृत्यगोपालदाजी का बालचरित्र एवं बाल लीलाएँ।

चरित्रनायक बालक सन्त भगवान् का मंगलमय चरित्र और उनकी बाल-लीलाएँ इतनी मधुर और चित्त को आकृष्ट करने वाली हैं कि उनका श्रवण एवं कथन करने से ही हृदय में साधु-भाव…

सदगुरूदेव श्री नृत्यगोपालदास जी महाराज का बाल्यावस्था में चूड़ाकरण-संस्कार।

‘चूड़ाकरन कीन्ह गुरू जाई।’ जब दुलारा लड़का (श्रीमहाराजजी) लगभग एक वर्ष के हो गये थे, तब उनका विधिवत् चूड़ाकरण-संस्कार सुसम्पन्न हुआ। चूड़ाकर्म-संस्कारार्थ बालक के साथ-साथ माता पिता भी स्नानादि क्रिया…

सदगुरूदेव श्री नृत्यगोपालदास जी के माता-पिता का अपने ‘‘लल्ला से लाड़-प्यार’’।

माता-पिता अपने सुपुत्र का बड़े ही लाड़-प्यार से पालन-पोषण करते थे। माताश्री अपने लाड़ले को नहलाती-धुलातीं और छोटी-सी पीली झंगुलिया पहनातीं। उनके बालों मेें फूल सजातीं, काजल का टीका देतीं,…

सदगुरूदेव श्री नृत्यगोपालदासजी की बाल्यवस्था की सत्य घटना। ‘‘मारने वाले से बचाने वाला बड़ा’’।

एक दिन की बात है कि लाला हाथ में मक्खन का लोंदा लेकर घुटने के बल चलते हुए अपने घर के आँगन में खेल रहे थे। माता-पिता घरेलू कामकाज में…